जो हाईकोर्ट के नियमित वकील नहीं उन्हें भी दिया गया चेंबर, कई JSBC में एनरोल्ड ही नहीं
झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन में वकीलों के चैम्बर अलॉटमेंट को लेकर अनियमितता देखने को मिल रही है. यह आरोप झारखंड स्टेट बार काउंसिल की सदस्य रिंकू भगत ने लगाया है. रिंकू भगत ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले को लेकर पत्र लिखा है. हाईकोर्ट के नए भवन में अब तक लगभग 430 वकीलों को चैम्बर आवंटित किया गया है. जानकारी के मुताबिक, चैम्बर अलॉटमेंट की लिस्ट में वैसे कई वकीलों का नाम शामिल है, जो फिलहाल झारखंड के किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस (वकालत) नहीं कर रहे हैं. इतना ही नहीं वैसे वकीलों को भी चेंबर आवंटित किया गया है, जिन्होंने सिर्फ एक वकालतनामा दायर किया है. रिंकू भगत द्वारा रजिस्ट्रार जनरल को पत्राचार किये जाने के बाद करीब 30 वकीलों का अलॉटमेंट फॉर्म रद्द कर दिया गया है.
जिन वकीलों का चेंबर अलॉटमेंट का आवेदन रद्द किया गया है, उसमें अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह, अनुराग कुमार, अजित कुमार सिन्हा, पियूष कांति भौमिक, संजीव कुमार, आरती बर्मन, पीतवश प्रधान, शीला प्रसाद, अनिल कुमार सिंह, सोमित कुमार चटर्जी, डॉ. मौर्य विजय चंद्रा, उषा सिंह, अविनाश कुमार सिंह, राकेश कुमार त्रिवेदी, राम अवध गुप्ता, अजय कुमार पांडेय, राहुल पांडेय, जय शंकर त्रिपाठी, अमित कुमार वर्मा, गीता कुमारी, धर्म कुमार झा, सुचित्रा पांडेय, अनुपम आनंद, सुभाशीष रसिक सोरेन, विकास कुमार, बिनोद कुमार, मनोज कुमार, सुरभि, रिंकू भगत, पंकज श्रीवास्तव, विनोद कुमार, सुषमा आइंद, वैभव प्रसाद देव, विनय प्रकाश, अनूप कुमार, विनोद कुमार, रामचंद्र प्रसाद साह, अनीता सहाय, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, आदित्य रमण, चितरंजन कुमार झा, प्रत्युष कुमार झा, राज कुमार गुप्ता, बिनोद कुमार सिंह, रमित सतेंद्र एयर स्वेता सिंह का नाम शामिल है.
चेंबर अलॉटमेंट में किसी भी वकील को प्राथमिकता नहीं – महासचिव
चेंबर आवंटन के बाद शुरू हुए विवाद पर हमने हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव नवीन कुमार से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि चेंबर अलॉटमेंट में किसी भी वकील को प्राथमिकता नहीं दी गई है. जिन वकीलों के बारे में एसोसिएशन को यह जानकारी मिली है कि वे हाईकोर्ट में या स्टेट बार काउंसिल से संबद्ध किसी एसोसिएशन से जुड़े हुए नहीं हैं, उनसे प्रमाण प्रैक्टिस और इनरोलमेंट का प्रमाणपत्र मांगा गया है.